भ()हाये

हमारी बिंदी सासे छीन छेती छा छत छे छुड़ानी छुया-छूत छडे छा
येसे ही तो ज़िन्दगी की बहार इधर-उधर भरपूर भसीन भरती भा


y-0-s ने ज़िन्दगी को जीत जरपूर जिया और अदर
तुम-हारी गरपूर गाठो गा तूतू तागा तिया

सासो के ज़माने का दिन-रात से सरपूर सनेहा लेना-देना
न लोटाये भरपूर बहाने बा भिखाना भहाये

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mandalalit

to be a within 0-one-0 is to breathe for gut alone total mother nature

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