कितनी आसानी से कुचल कटे एक-दूसरे के न()चलते नाते
और अपने अदर की भरपूर भूरजा भय भू-चल बही बकते
तूतू मे मे की अदर की भरपूर बाते एक दुनिया मे उड़ाते
किस-किस की हवा को गन्दा गरते गरपूर गिधर-गूधर गाते
इसी लिए तो एक-एक जन्मे अदर के भरपूर भाते
बिना कुचले तो तुम आखे भी नही खोल सकते
दरपूर दरवाजे दहाड़ दरो दिन दिहाड़े राते
मुजले मुखोटो मे मोल मोड़ मरपूर मक्ते
गोदी का सारा किसाब-हिताब बायां-दायां दाते
ख़ाली लाज्वाब ज-लियायो भरपूर नवाब नाते
