मैं नहीं खाखन खायो

अब सृष्टि गोदी में मईया ने खुद बाल शुनया बिंदु

को माखन खाने खो खिला ख़हे खा

तो भरपूर भ()ल-ज़ाम तो सास की तूतू मे मे ने

अपना भरपूर सिद्ध करने के लिए लगाए ला

अब इस सास सो सदगे इधर-उधर के ख़ाली डंडे

ना भूले भाली भेहेर अदर-बाहर भरपूर भंडे

Published by

Unknown's avatar

mandalalit

to be a within 0-one-0 is to breathe for gut alone total mother nature

Leave a comment