आयो आडे

मै ने खुद से कहा तुम आ के अदर आ-रो

तुम जबरदस्ती आ के पैर पसारो

कौन कहा आ के भरपूर स्वा-रो

असुर अधेरे मे बहुत आर पार पढ़ाते

इसी लिये दिन मे दार दार डगमगाते

सास के अदर नगा होने से भी बहार के

मुखोटे खोटा खिसकाते

मौत भी जुबान को सुला सकती नही

त्यार है अगले आधा जनम का

चिठ्ठा चारन चाव चुनौती

मा की कोख मे दाग

दरिया दाती ढोती

जुबान को है स्वाद सरसरूर सीरे

नही लगते अदर भरपूर भीडे

पेट मे पडे अनगिनत कीडे

न काटे नर कहा के क्रीडे

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mandalalit

to be a within 0-one-0 is to breathe for gut alone total mother nature

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