मौत के मूह मे झोकते
तूतू मै मै का समाज क्या चौक-ते
घरो घडघूर दस्तक नही देता मोडते
एक एक मूह मे जय ज्योते
तुम तो हो वास की काली अधेरी रात
मे उडते रहो ठाठ की जात
मौत के मूह मे झोकते
तूतू मै मै का समाज क्या चौक-ते
घरो घडघूर दस्तक नही देता मोडते
एक एक मूह मे जय ज्योते
तुम तो हो वास की काली अधेरी रात
मे उडते रहो ठाठ की जात