रा(कहा)ब्ता

यह क्या होता है
हरा-आम-खोर
यही न
आ-राम को भरपूर हरा न मिले

यह दुयिया की तूतू मै मै के समाज मे
सब कल्मुहि, जन्म-जली क्यो कोटा
आधा जन्म-जला कल-मूहा
कल को दबा के दबता

Published by

Unknown's avatar

mandalalit

to be a within 0-one-0 is to breathe for gut alone total mother nature

Leave a comment