यह क्या होता है
हरा-आम-खोर
यही न
आ-राम को भरपूर हरा न मिले
यह दुयिया की तूतू मै मै के समाज मे
सब कल्मुहि, जन्म-जली क्यो कोटा
आधा जन्म-जला कल-मूहा
कल को दबा के दबता
यह क्या होता है
हरा-आम-खोर
यही न
आ-राम को भरपूर हरा न मिले
यह दुयिया की तूतू मै मै के समाज मे
सब कल्मुहि, जन्म-जली क्यो कोटा
आधा जन्म-जला कल-मूहा
कल को दबा के दबता