मुरझा गयी कंस की कली
हम क्या करे रात न रली
आधा ढेर ढाल गली गली
छाया छे अधेरे डली डली
वीरावती कहती अपने बच्चो को
अब
काली कुण्डी कगालो काली
मुरझा गयी कंस की कली
हम क्या करे रात न रली
आधा ढेर ढाल गली गली
छाया छे अधेरे डली डली
वीरावती कहती अपने बच्चो को
अब
काली कुण्डी कगालो काली