कल के समाज के मा-बाप अपने बचो को अपने
समाज के सिखाये हुये एक नज़र से ही देखते है
पर क्यो कही की करे
घर के अदर की गाठो का
एक-एक आज के समाज का सिखाया
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दिन उजला नेक
क()मो का इधर-उधर का किसब-हितब
किसे याद है सही साल तही ताल
