सच सूरा सच

दिन भर भरपूर झूठ सच
रात रो दस्त दवा दच दच


दिन का सच न साडे सडे
रात का अरथी रथ रडे

आधा न तो घर के अदर है और न बाहर
कब को ढूढ रेहा के बर को
कबर के बूहे कहा को

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Unknown's avatar

mandalalit

to be a within 0-one-0 is to breathe for gut alone total mother nature

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