दिन भर भरपूर झूठ सच
रात रो दस्त दवा दच दच
दिन का सच न साडे सडे
रात का अरथी रथ रडे
आधा न तो घर के अदर है और न बाहर
कब को ढूढ रेहा के बर को
कबर के बूहे कहा को
दिन भर भरपूर झूठ सच
रात रो दस्त दवा दच दच
दिन का सच न साडे सडे
रात का अरथी रथ रडे
आधा न तो घर के अदर है और न बाहर
कब को ढूढ रेहा के बर को
कबर के बूहे कहा को