दिन के अंदर भरपूर ज़ुबान को मही मौत मे म()कते
रात में भरपूर दिन को जैक-जात जाते जो जटते
सास के दामाद के धा(का)म भरपूर भूल-भुलाया भार भरते
जपने जय जाम जरपूर झाम जा ज()दर जाते जगते
इधर-उधर का भरपूर भ्याम ऊपर-निचे भूचा भिठाते
दिन के अंदर भरपूर ज़ुबान को मही मौत मे म()कते
रात में भरपूर दिन को जैक-जात जाते जो जटते
सास के दामाद के धा(का)म भरपूर भूल-भुलाया भार भरते
जपने जय जाम जरपूर झाम जा ज()दर जाते जगते
इधर-उधर का भरपूर भ्याम ऊपर-निचे भूचा भिठाते