रिसकी राद में दिन रात ख़ाली खोए
वही सांसो के ख़ाली आँसू पिरोए
ख़ाली बंधन बांध भीतर भिगोए
साँस भी तैरे सारे असीस सोए
ख़ाली जोत गोदी की बहार बोए
रिसकी राद में दिन रात ख़ाली खोए
वही सांसो के ख़ाली आँसू पिरोए
ख़ाली बंधन बांध भीतर भिगोए
साँस भी तैरे सारे असीस सोए
ख़ाली जोत गोदी की बहार बोए