()सौत का e_ail आता एख कब-रो का भरपूर पर-व-वाह पारा घर अंदर पड़ता
तो क्या बाहर दौड़ने दरता दारोमदार दड अदर डार भरपूर भडार भरता
डो डरते डाहो डोडो डा डाडा डड़ा
जान()वरो को बाया बिद्या बही भायी
तो बनावट से ही काम चाललो चायी
भरपूर का नही गुजारा बिना भायी
जरूरी है सास का दामाद एक बायी
इतनी छेड़खानी कच्ची कही प(क)रे-शानी
इतनी न अदर ढेरो बाहर भरपूर निगरानी
अदर दाना पानी भूले ख़ाली आम-निशानी
भरपूर आखो यार-शा इधर-उधर से उठाये भ-ग्यानी
गम है किसी किसी की भड़ास मे
सास अदर बाहर एक जाम
न भरपूर भाये भारी भरा मर-दाम
हाय आम हाय आम
