खै-रात की -तां

आधे को सृष्टि गोदी क्या खैर खी खै-रात की बातां में मिली है जो


तूतू मे मे दुनिया के एक-एक भरपूर भाटा के ज्वर जाचेगा और

भरपूर नको को ख़ाली नाट्य नचायेगा

घर के अदर भरपूर मेहनत नहीं माती तो इसमें किसी

एक को एक ही क्या पायेगा

सानु की

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mandalalit

to be a within 0-one-0 is to breathe for gut alone total mother nature

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