आधे को सृष्टि गोदी क्या खैर खी खै-रात की बातां में मिली है जो
तूतू मे मे दुनिया के एक-एक भरपूर भाटा के ज्वर जाचेगा और
भरपूर नको को ख़ाली नाट्य नचायेगा
घर के अदर भरपूर मेहनत नहीं माती तो इसमें किसी
एक को एक ही क्या पायेगा
सानु की
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