चार-पायी

तुम-हे घर के अदर किसी ने सृष्टि गोदी की इज़्ज़त करनी कही का कहाई


इसी लिये जहा चाह भरपूर मे बरो-बद आधा आयी


अदर बाहर इधर उधर तूतू मे मे भरपूर भाड़ भ-ड़ाई


आखे भी ढूढे भरपूर पहियो पी अदर एक दुनिया (पर)चार-पायी

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mandalalit

to be a within 0-one-0 is to breathe for gut alone total mother nature

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