कहते है ऊपर वाले की मर-जी के बगैर पत्ता पही पलता
(मर-जी ऊपर भरपूर होती है अंदर तक आते आते
ख़ाली हो जाती है स्ट्रेटोस्फियर में पलायन की आग से)
ऊपर वाले के पास पल नहीं होता या अंदर वाले के साथ _@chi मारता
पत्ते तो गोदी में पवन पुत्र की मर्जी से उड़ते उ
इसका बल मत यह है की सास के अदर का एक-एक पटा पूरा पल्टा
हाजमोला से मोला नहीं आधे का खड़पुर खड़ा खडगोला गोल खारा खोला
