हमें ख़ाली खर खे खहुत खहर खचता
तो देखो दोन दोला दचता
आधा मंडोला मचता
हमारे अनुभव की गहरायी ने अड़ाया आरा
जो आगे हुआ ख़ाली पीछे भी जवां जाली जारा
ख़ाली नज़र ख़ाली खाम खमा खैर खारा
हु हु कुम कुम
गोदी जहां-आरा खुश()स्मत खमारा
हमें ख़ाली खर खे खहुत खहर खचता
तो देखो दोन दोला दचता
आधा मंडोला मचता
हमारे अनुभव की गहरायी ने अड़ाया आरा
जो आगे हुआ ख़ाली पीछे भी जवां जाली जारा
ख़ाली नज़र ख़ाली खाम खमा खैर खारा
हु हु कुम कुम
गोदी जहां-आरा खुश()स्मत खमारा