आया आधा जन्म जाती
सब कुछ कितना नया नया नगा नाती
आधे का राहु-केतु भी ख़ाली खो देता
ख़ाली कब्र भी इधर उधर रो रेता
बुँदियाँ रखवाली अंदर बाहर नाचे नचिकेता
ज़रा सी ख़ाली समझदारी दे गोदी देती सब सुला
रही बात घर बदलने की तो
गोदी में घर एक दिन में नहीं बदलते
कितने भरपूर आधा जन्म भटकते
तूफानी रात मे भी न अदर रोते
दिन्दा दिली से रूह को दगते
समा(दा)ज आज नही बदले बाते
