जब घर की जिदा लाशो की सफाई नही इतनीअदर प्यारी
तो हस-पताल मे क्या भरती मुरदा शरीरो की शायरी
hi बीमा(या)री hi बीमारी hi बीमा(या)री
आना तो है यही बू-ढा शरीर भारी
और जवान है नर की जू-बान अदर उडारी
जब घर की जिदा लाशो की सफाई नही इतनीअदर प्यारी
तो हस-पताल मे क्या भरती मुरदा शरीरो की शायरी
hi बीमा(या)री hi बीमारी hi बीमा(या)री
आना तो है यही बू-ढा शरीर भारी
और जवान है नर की जू-बान अदर उडारी