b से बडा बरपूर प्यार

शाति बायी को है बेसबरी बी से इतजार
कब आधे घर से बाहर निकले
सुने फटे फाल फटकार

ओ भगवन अब क्या यहा पर
भी आधा दिक-टेटर त्यार

चली आधे ख़ाली कब्र आर पार

आधे साँसो की हो रही नीलामी
नरकासुर के अदर नही है कोयी उलामी
खूले-आम होगी अब तो बदनामी

अपनी कोख के अदर बाहर सब करते
li_e & dis_ike

6 कानो को सीखा रहा है कब से
लेकिन कभी जुबान ने होने नही दिया पार पडपे

u _ar o_d he_l_ in()id (he)e_en

_um1 is _acking ne_wo_k

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mandalalit

to be a within 0-one-0 is to breathe for gut alone total mother nature

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